बीकानेर में इस दिन घरों में नहीं जलता है चूल्हा, जानने के लिए पढि़ए पूरी खबर
बीकानेर अबतक. 31 मार्च


बीकानेर। हमारे यहां वैसे तो हर दिन त्योहार होता है, किंतु कुछ खास ऐसे त्योहार व पर्व है जो कि न केवल मौसम के अनुरुप व अनुसार ही मनाते है। ऐसी मान्यता है कि होळी के बाद मौसम परिवर्तन हो जाता है तथा होली के ठीक सात-आठ दिन बाद हम शीतला माता के पूजन के साथ उन्हें बासौड़ा का भोग लगाकर परिवार के स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करते है। इस दिन हम बासी भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है तथा इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलता है तथा एक दिन पहले बने पकवान, भोजन को खाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन से ठंडी वस्तुओं, शीतल पेय पदार्थ आदि की शुरुआत हो जाती है तथा भोजन व खाद्य सामग्री खराब होनी शुरू हो जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 1 अप्रैल दिन को रात 09 बजकर 09 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 2 अप्रैल को रात 08 बजकर 08 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए बसौड़ा यानी शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को रखा जाएगा। ऐसे में कुछ लोग आज तो कुछ लोग कल अपने घरों पकवान जैसे हलवा, खीर, मोगरी चूरमा, दही बड़े, सांगरी की सब्जी, पंच मेल की सब्जी, दाल की पुडिय़ां, सादी पुडिय़ा समेत अनेक प्रकार के पकवान बनाकर अगले दिन माता शीतला का विधिवत् पूजन कर उन्हें इन पकवानों का भोग लगाया जाएगा तथा उसके बाद प्रसाद के रूप में इन पकवानों को जिसको हम बासौड़ा कहते है खाया जाएगा। ऐसे में इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।

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