

‘मजाक’ की एक बात दिल को ऐसी चुभी कि बस गया बीकानेर शहर, बीकानेर नगर का 537 वां स्थापना दिवस कल, बीकानेर नगर स्थापना दिवस के मौके पर बीकानेर अबतक परिवार की ओर से हार्दिक बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं
बीकानेर अबतक. 08 मई
बीकानेर। राव बीकाजी जोधपुर रियासत के राजकुमार थे और अपने आप में एक बड़ी हैसियत रखने वाले लोगों में थे। बताया जाता है कि एक दिन किसी काम के लिए जल्दी करने के कारण उनकी भाभी ने उनसे मजाक कर लिया की देवरजी इतनी जल्दी में हो, क्या कोई नया शहर बसाना है। बस यही बात उनके दिल में बैठ गयी और उसी वक्त राव बीकाजी जोधपुर से अपना काफिला लेकर जांगल प्रदेश की और रवाना हो गए। उस समय बीकानेर नाम की कोई रियासत नहीं थी। जहां आज बीकानेर बसा हुआ है वह जांगल प्रदेश का हिस्सा भर था और यहां भाटियों की हुकूमत थी। जब राव बीकाजी यहां पहुंचे तो उनका सामना उस समय के एक जागीरदार से हुआ जिसका नाम नेर था। उसने ये शर्त रख दी की नए शहर के नाम में उसका जिक्र भी आना चाहिए और राव बीका और नेर के नामों को मिलाकर बीकानेर नाम का नया शहर बसाया गया। इस शहर पर शुरू से ही राजपूत राजाओं की हुकूमत रही, जिन्होंने समय समय पर अपनी कुशलता को साबित किया, लेकिन उन सब में महाराजा गंगा सिंह का नाम आज भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है। महाराजा गंगा सिंह जहां कुशल शासक के रूप में अपनी पहचान रखते थे, वहीं समय से आगे सोचने की योग्यता भी रखते थे। यही कारण था कि अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान उनकी पहुंच महारानी विक्टोरिया तक थी और विश्वयुद्ध के दौरान उन्हें ब्रिटिश-भारतीय सेनाओं के कमान्डर-इन-चीफ की जिम्मेदारी सौंपी गई, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. गंगा सिंह के समय में बीकानेर एक विकसित रियासत था और जो सुविधाएं दूसरी रियासतों ने कभी देखी नहीं थीं, वे भी बीकानेर में आम लोगों को उपलब्ध थी. बिजली, रेल, हवाई जहाज और टेलीफोन की उपलब्धता करवाने वाली रियासत बीकानेर ही थी। यहां का पीबीएम अस्पताल देश के बेहतरीन अस्पतालों में शुमार होता था।
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