बीकानेर। बीती रात्रि 12:15 बजे के लगभग मैं अपने साथियों के साथ हमेशा की तरह ही कोडमदेसर भेरुनाथ बाबा जी के दर्शन करके लौट ही रहा था कि कोडमदेसर मंदिर से थोड़ी दूरी पर दो व्यक्तियों की अज्ञात वाहन या किसी पशु से टकराने की वजह से दुर्घटना हो गई थी और वह में रोड पर पड़े तड़प रहे थे लोग खड़े थे कुछ लोग 108 के लिए प्रयास कर रहे होंगे थे और कुछ #एज पर आदत #वीडियो बना रहे थे।
उन घायल व्यक्तियों को अपने साथी आशु राम बोबरवाल, अर्जुन कुमावत और श्रवण बोबरवाल के साथ वहां से निकलते हुए देखा तो दोनों के सर से खून बह रहा था हाथों, पैरों में भी भयंकर चोट लगी परंतु दुख हुआ कि लोग केवल देख रहे थे फोन से वीडियो फोटो बना रहे थे और इधर-उधर फोन करने का प्रयास कर रहे थे लेकिन कोई भी उनको उठाकर अपनी गाड़ी में डालने को तैयार नहीं थे सर में चोट लगने के कारण खून भी बह रहा था और उल्टियां भी हो रही थी मुझे बहुत दुख से कहना पड़ रहा है कि लोग ऐसे समय में भी कहीं गाड़ी खराब ना हो जाए जैसे विषय पर चिंतन करते हैं।
मैं भैरू बाबा का आभारी हूं कि हमें इस सेवा का अवसर दिया मैंने अपने साथियों की सहायता से उन दोनों दुर्घटनाग्रस्त घायल व्यक्तियों को अपनी गाड़ी में बिठाया और गाड़ी में सीट न होने की वजह से साथी आशु राम बोबरवाल और अर्जुन कुमावत को वहीं रस्ते में ही छोड़ कर श्रवण के साथ रात को 1:00 बजे लगभग ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
उनके फोन से उनका नाम पता चला तो एक भाई साहब का नाम अमरनाथ जी हर्ष और दूसरे भाई साहब का नाम पुरुषोत्तम जी छंगाणी है तब मैंने हर्ष नाम होने के कारण एडवोकेट प्रेम नारायण जी हर्ष को रात को 12:40 के लगभग फोन किया उन्होंने तुरंत ही फोन अटेंड किया और शहर के व्यक्तियों के परिवार को सूचना दी।
अस्पताल पहुंचने से पहले दोनों का होश आ गया था और दोनों ही आधे अधूरे होश में एक दूसरे का हौसला बढ़ा रहे थे पुरुषोत्तम जी को उल्टियां हो रही थी और वह हाथ में फेक्चर होने के कारण दर्द से करहा भी रहे थे अमरनाथ जी के भी खून बह रहा था लेकिन वह दोनों एक दूसरे को बहुत प्रेम के साथ हौसला बढ़ा रहे थे इतनी चोट में भी दोनों को एक दूसरे की फिकर थी निश्चित रूप से यह प्रेम मन को सुकून देने वाला था। यह बीकानेर अंदरूनी हिस्सा जिसको की हम बीकानेर शहर कहते हैं वहां की खूबसूरती है कि हम जब तक ट्रॉमा सेंटर पहुंचे उससे पहले ट्रॉमा सेंटर में 100 से ज्यादा लोग तुरंत प्रभाव से मौजूद थे इतनी एकता ,इतना भाईचारा इतना प्रेम निश्चित रूप से इस बीकानेर के अंदरूनी भाग शहर में ही संभव है या जो पुरानी बस्तियां और मोहल्ले है सिर्फ वहीं रह गई है ।
मेरा निवेदन कॉलोनी में रहने वाले व्यक्तियों से भी रहेगा की अपनी कॉलोनी के आसपास रहने वाले लोगों के साथ प्रेम और स्नेह के साथ रहे ताकि सौहार्द बना रहे और दुख तकलीफ परेशानी में पड़ोसी और मोहल्ले वासी, कॉलोनी के लोग उनके साथ खड़े नजर आए प्रेम में बड़ी ताकत है मैं एक बार पुनः धन्यवाद देता हूं आभार करता हूं भैरवनाथ बाबा का कि हमें यह सेवा करने का अवसर दिया।